सरकार की साइकिल योजना में घपला, कई लोगों की समझ से बाहर है
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बिहार सरकार द्वारा नियुक्‍त कुमार के बनने के बाद कई योजना शुरू की गई। खास कर के महिलाओं को लेकर खास ध्यान दिया गया। इसी क्रम में 2006 में साइकिल साइकिल योजना शुरू की गई। इसके तहत राज्य सरकार द्वारा कक्षा 9 के छात्रों और लड़कियों को साइकिल खरीदने के लिए पैसे दिए गए थे। ताकि उन्हें पढ़ने की सुविधा न हो और उन्हें स्कूल में जाने की सुविधा मिले। लेकिन अब साइकिल योजना में स्कैम की आशंका होने लगी है। घोटाले की आशंका होने की वजह यह है कि कई योजनाओं से करोड़ों रुपए के होश सरकारी फाइलों में नहीं हैं।

इन रुपयों का अवलोकन और कैसे होता है

बिहार सरकार की साइकिल योजना के लिए शिक्षा विभाग की प्रारंभिक राशि जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से दी जाती है। लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं, जहां से करीब 500 करोड़ रुपए का होश फाइल से गायब है। शिक्षा विभाग द्वारा बार बार अधिकारियों को पत्र भेजकर होश मांगा गया है। लेकिन कई ऐसे जिले हैं जिन्हें अब तक कोई होश नहीं है। इसलिए अब शिक्षा विभाग ने उन ज्ञानी को अल्टीमेटम दे दिया है कि वो जल्द से जल्द होश में आ जाएंगे।

साइकिल योजना का ब्योरा 10 दिनों में मांगा

राज्य के नौ जाली में यह होश तोड़ देता है। इसमें सबसे ऊपर है मधुबनी जिला, जहां से 52 करोड़ रुपये से अधिक का होश बाकी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय कुमार ने इसे लेकर सभी ज्ञात जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है। यह मामला 2012-13 से 2018-19 के बीच का है।

इन जार्ज में होश रोक है

मुजफ्फरपुर : 33 करोड़ 57 लाख रुपए

पश्चिम चंपारण : 27 करोड़ 53 लाख 87 हजार 500 रुपए

अलीपुर : 13 करोड़ रुपए से अधिक

वैशाली : 9 करोड़ रुपए

मधुबनी : 52 करोड़ 68 लाख 77 हजार 500 रुपए

नवादा : 3 करोड़ 88 लाख से अधिक

पूर्वी चंपारण : 1 करोड़ 89 लाख रुपए

दरभंगा : 28 करोड़ रुपए से अधिक

मधेपुरा : 6 लाख रुपए

वित्तीय वर्ष में स्कैच

2012-13 : 29 करोड़ रुपए से अधिक

2013-14 : 3 लाख रुपए से अधिक

2015-16 : 82 करोड़ रुपए से अधिक

2017-18 : 150 करोड़ रुपए से अधिक

2018-19 : 100 करोड़ रुपए से अधिक

भोपाल साइकिल योजना के तहत छात्राओं को पहले 2000 रुपये दिए जाते थे जबकि अब यह राशि 3000 कर दी गई है। सरकार द्वारा चलाये गए इस योजना का उदेश्य सिर्फ यही था कि बच्चों को घर से स्कूल आने में किसी भी साधन को लेकर रुकावट का सामना न करना पड़े और समय भी बचा रहे।

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